Wednesday, December 26, 2018

ये इश्क बड़ा बूद्धू है



ये इश्क बड़ा बूद्धू  है 
हर बार दोस्त की गर्लफ्रेंड से ही हो जाता है 
रोकता हूँ इसे जिस राह पे, ना जाने को 
ये सर फिरा उधर ही चला जाता है 

पल भर की खुशियों पे यकीन मत करना ये समझाता हूँ 
मगर ये दिल है दिमाक की सुनता कहाँ है 
हर बार मोहब्बत की सवारी करने चला जाता है 
ढूढ़ता  हूँ तो वीरानों में भटकता मिलता है 

जंजीरें नहीं लगाऊंगा, तराने छेड़ो 
मगर किसी के आंसुओं को बेघर ना करो
रिश्तों को सम्हालने का थोड़ा हुनर सिख लो 
दिल तोड़ जाते हैं लोग ये कहना छोड़ दो   

Thursday, December 13, 2018

इश्क की शान रखो




इश्क  की शान रखो
पर्दा हटाओ सारे आम रखो 
दिमाक और जुबान से मिटाके  
दिलों में इसकी विरासत रखो 

संदूकों में कैद करके मत रखो 
ये प्यार है इसको प्यार से रखो 
दिल के हर पत्तों पे इसको सजा के रखो 
और फिर हवाओं से बचा के रखो 

इश्क-बाजारी में भी इसको बिठा के रखो 
कोई ख़रीद ना पाए ऐसा दाम लगा के रखो 
नज़रों से बचाओ नहीं, उसपे बिठा के रखो 
हर कोई इश्क करना चाहे, ऐसा कुछ बना के रखो  




Tuesday, November 27, 2018

ना मंदिर , ना मस्जिद चाहिए




ना मंदिर , ना मस्जिद चाहिए 
उसमे बैठता है जो खुदा , वो भगवान चाहिए
और ना वादे , ना लड्डू खीर चाहिए 
हुआ है जो कोई जुर्म , तो थोड़ी इन्साफ चाहिए 

उनके  पिछले जन्मो का पाप है ये निबंध नहीं चाहिए 
इस जन्म में भी उन्हें थोड़ा  प्यार चाहिए
संसद में बैठ कर भाषणों का ब्यापार ना होना चाहिए  
घरों - गांवों में आंसुओं का उद्धार होना  चाहिए

शिक्षा कराओ तो उसमे ज्ञान भी होना चाहिए   
उंच - नीच की कोई पहचान ना होनी चाहिए 
महलों में रहकर अख़बारों में हाथ  हिलाने का शौक ना होना चाहिए 
सेवक बने हो तो सेवा का कर्म भी होना  चाहिए 


Saturday, November 17, 2018

उसे कहानी चाहिए


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उसे कहानी चाहिए
शोहरत का एक और नाम चाहिए
तो जाके उसे समझाइए
की नुक्कड़ पे पहले उसे चाय पीना चाहिए

माना की उसे अपने पैसों पे गुरुर है
मगर गज़ल चाहिए तो पहले भिखारी बनना चाहिए
और दर्शकों की भीड़ अगर ना हो 
तो पहले दर्शकों के बीच में होना चाहिए

उसे तारीफदारों का झुण्ड भी चाहिए
तो पहले उसे ज़लील होना चाहिए
और हँसी को बुलाना हो अगर चेहरे पे
तो जी भर के रो लेना चाहिए

Friday, October 26, 2018

कश्ती


हजारों को सर पे लेके चलती हूँ 
ऐसी मैं एक  कश्ती हूँ 
कोई डूब ना जाए जिससे मैं डरती हूँ 
फिर भी मैं लहरों के सर पे ही रहती हूँ 

किनारे दर किनारों पे रुक जाती हूँ 
बीच भंवर में मैं मस्ती से चलती हूँ 
लोग बैठे मुस्कुराते हैं 
और मैं लहरों की हर एक चोट छुपाये फिरती हूँ 

अँधेरी रातों में अकेली हो जाती हूँ 
ये देख आसमां नीचे आ जाता है 
बगल में हँसता चाँद बिगड़ जाता है 
करवटें जब भी मैं बदलती हूँ 

हजारों को सर पे लेके चलती हूँ 
ऐसी मैं एक  कश्ती हूँ 



Monday, September 24, 2018

तेरे आस - पास ही मिलेंगे हम बार - बार



तेरे आस - पास ही मिलेंगे हम बार - बार
छोड़ के ना जायेंगे हम उस पार
ये रिश्तों की रस्सियाँ जल भी जायेंगी तो क्या
राख से ही मिलने आयेंगे हम हज़ार बार

ये परिंदे भी उड़ जायेंगे दरिया उस पार
मोहब्बत अगर ना मिली इस पार
और हम दुआएं भी छोड़ जायेंगे तेरे लिए
कभी मिले ना तुझे कोई हार

वो रास्तें होते हैं कांटेदार
जिसपे सजी होती है मुस्कानों की बहार
जीत जायेंगे वो जिनके हक में दर्द हो
खुशियाँ इंतज़ार में हैं कब मिले आंसुओं का सैलाब

लौट आने का कोई उम्मीद हो तो लिख देना एक तार
हम करते ही रहेंगे तेरे लौट आने का इन्तजार
जाओ देख लो और लोगों का भी प्यार
कम पड़े अगर तो चले आना मेरे दरबार


Wednesday, September 19, 2018

संभालों जरा तुम मुझको



संभालों जरा तुम मुझको  
मैं क्या होने वाला हूँ  
ऐसे ना बात करो तुम   
अब मैं रोने वाला हूँ 

तुम सुकूं ना पाओगे रुला के मुझको  
कोई है जो मुझे हँसाने वाला है 
तुम छीन लो हर एक नसीबें मेरी  
कोई है जो मुझे हक़ दिलाने वाला है 

तुम रास्ता दो या ना दो मुझको  
कि अब मैं ना लौटने वाला हूँ  
ठोकरें इतना पा गया हूँ  
कि अब मैं ना रुकने वाला हूँ  

तुम कोसते रह जाओगे मुझको  
कि अब मैं ना हारने वाला हूँ  
दीवारें लाख खड़ी करदो रास्तों में मेरे  
मगर अब मैं जितने वाला हूँ  

सुकूं = सुकून

Sunday, September 16, 2018

वो आएंगे तो बदल देंगे



वो आएंगे  तो बदल देंगे 
मेरे चेहरे  पे थोड़ी हँसी देंगे 
कोई उम्मीदें नहीं उनसे 
हम खुद अपना वक्त बर्बाद करदेंगे  

हम बेवकूफ भी बन जायेंगे 
थोड़ा और ज़लील हो जायेंगे 
उन्हें जरुरत नहीं खंजर छुपाने की
यारों की हम तलाशी  ना लेंगे 

कुछ हमे भी मिलेंगे 
जो पहचानने की कोशिश करेंगे 
तुम नकाबों में मिलते रहो 
हम दोस्ती को कोई और मुकाम देंगे 

Wednesday, September 12, 2018

एक लहर ऐसी आएगी सबकुछ ठीक हो जायेगा


एक लहर ऐसी आएगी सबकुछ ठीक हो जायेगा 
ये ख़्वाब है ख़्वाब ही रह जायेगा 
लकीरें तब बदलेंगी  
जब खुद के हाथों से कोई काम होगा 

कुछ बोलोगे तो लोग बिगड़ जायेंगे 
नसीहतों में ख़ामोशी की दवा देंगे 
कह दोगे जो तुम हकीकत की वारदात 
सारे लोग तुम्हे छुप - छुप के सजा देंगे 

तुम्हारी आँखों में वो तुम्हारे साथ नज़र आयेंगे 
कन्धों पे जो हाथ रखोगे तो बिछड़ जायेंगे 
ये सच्चाईयां सारे आम नज़र आएँगी 
तुम्हे पता चलेगा तो रो दोगे

इनके माप - दण्ड की ज़िन्दगी इन्हें सौंप दोंगे 
जब वाकया में इनसे रूबरू होगे
और इनका काफ़िला भी तुम छोड़ दोगे 
जब तुम्हारे कारवां तुमसे जुदा होंगे  

Thursday, August 30, 2018

कुछ वक्त ऐसा भी गुजरता है

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कुछ वक्त ऐसा भी गुजरता है
की हम नज़र अंदाज़ में होते हैं
अपने तो  हर रोज दुआएं देते हैं
फिर भी कुछ खास नहीं होता है

और उन आंसुओं की कोई कीमत नहीं होती है
जिनको पोछने वाला कोई नहीं होता है
और रिश्तों की दीवारे भी कमजोर पढ़ जाती हैं
जिनमे वफ़ादारी का कोई ईंट नहीं होता है

मेरी हरकतों पे उसकी नज़र होती है
उसके हारने की और क्या वजय हो सकती है
उसके तमाम कोशिशों के बावजूद भी मैं रोया नहीं
ऐसा क्या है मेरे आसुंओं में जो उसको सुकून मिलता है 

Sunday, August 26, 2018

हम चले थे साथ - साथ


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हम चले थे साथ - साथ
फिर ना जाने क्या हुआ 
पहले तो रास्ता एक था 
अब ये तुमको क्या हुआ 

बचपन हो लिया, जब वक्त के साथ 
फिर नहीं वो साथ हुआ 
ये लम्हों का ही खुरापात था 
जो आज वो अजनबी हुआ 

कुछ  लोगों का है साथ 
उसमे तुम  नहीं तो क्या हुआ 
जब ये आँखे रो पढ़ी थी 
तब सवालों का जन्म हुआ  

जो रास्ते है साथ - साथ  
उसपे अकेला क्यों हुआ 
पहले तो मैं भी सही था 
फिर मैं झूठा क्यों हुआ

Monday, July 16, 2018

जिंदगी का सारा तेल निकलता जा रहा है



जिंदगी का सारा तेल निकलता जा रहा है 
 हम हैं की किसी और का तेल खाते जा रहे हैं 
ये गुरुर क्यों इतना बढ़ता जा रहा है ?
क्या यही हमें बर्बाद करता जा रहा है ?

मुस्कान उसके होठों पे वाकई में आ रही है 
या फरेबी है कोई, जो नकाबों में दिख रही है
खुद को अपने चेहरे पे क्यों नहीं रख रहे हो 
ज़माने की तरह किसी और की जिंदगी जी रहे हो 

तुम्हारे हक़ की खुशियाँ जल के राख़ होती जा रही है 
ये तुम्हारा वहम है की तुम लोगों की बस्तियां जलाये जा रहे हो 
लोगों के दर्दों पे क्यों इतना हंसे जा रहे हो ?
सुनामी से डर नहीं लगता जो इतने आंसू बचाये जा रहे हो 

समझदारी हर एक में है, वो तो रिश्ते हैं जो निभाए जा रहे हैं 
तुम्हारी भी हंसी दम तोड़ देगी, जो सबको रुलाये जा रहे हो 
ये तुम्हारा कारवां है जो मस्ती में चले जा रहे हो 
फिर किसी से ये ना कहना की अब तुम सताए जा रहे हो

Friday, July 6, 2018

अगर आंसुओं को हाथ मिला होता



अगर आंसुओं को हाथ मिला होता 
तो किसी के पोछने का उन्हें इंतज़ार ना होता 
और  दूसरों के मशवरों को छोड़कर खुद की सुना होता  
तो शायद वो आज बर्बाद ना हुआ होता 

उम्मीदें सूख कर कोयला ना होती 
अगर कोई झूठा वादा ना किया होता 
और उसके ज़ेहन में आग कैसे लगती 
अगर ये चिंगारियां तुम ना उड़ाए होते 

तुम्हारी बेचैनियों को कोई समझा भी ना होता 
अगर उसकी कहानियों में तुम्हारा जिक्र ना हुआ होता 
तुम्हारे शोहरत के खेत को भी बरसात मिली  होती 
अगर थोड़ी रिश्वत खुदा को दिया होता  




Thursday, May 31, 2018

आप सुरक्षित हैं ये आपके घर की बात नहीं है



आप सुरक्षित हैं ये आपके घर की बात नहीं है
वो वापस नहीं आयेगी, उसे मौत के घर भेज दिया गया है
चलो फेसबुक पे जाहिर कर दें की हम भी दुखी हैं
दो - चार मसले और हैं इसके साथ उसको भी निपटा देते हैं

आप सोते रहिये, सोने के लिए सरकार ने इंतजाम कर दिया है
आपकी आखें कुछ और ना देखे इसलिए मोबाइल सस्ती कर दी गयी है
डिजटल इंडिया बना दिया गया है
हम धीरे धीरे मशीनो की तरह हो गए हैं

अंग्रेजो के बनाये हुए संविधान पे सरकार को चला दिया गया है
और आज़ादी मिल गयी है इसका अफवाह उड़ा दिया गया है
जिसने हमे जन्म दिया उसको हम कहीं खो दिए हैं
आप और हम कुछ बोल ना पायें इसलिए प्रशासन के हाथ में डंडा दे दिया गया है

आप इस जुर्म को भूल जाएँ इसलिए एक नया मुद्दा खड़ा कर दिया जायेगा
वो दुःख कम हो जाये इसलिए आतंकी हमला करवा दिया जायेगा
सोचना ये हैं की आपकी याददाश्त कितनी तेज है
और मुझे पता है की आप भूल जायेंगे क्योंकि यही तो राजनीति का खेल है

Tuesday, May 22, 2018

बस करो कितना नाराज़ रहोगे



बस करो कितना नाराज़ रहोगे
बिना बोले कोई तरीका है समझाने का
कुछ दिन और जी लेते हैं इश्क में
तुम इशारा मत करो छोड़ जाने का

मैं अकेले नहीं रह पाती हूँ 
तुम्हे थोड़ी भी फिकर नहीं है मेरे  गुम हो जाने का 
बेचैनियाँ दूर रहें ये गुज़ारिश हैं मेरी 
मुझे तो परवाह ही नहीं है खुद बिखर जाने का 

जिस राह  पर भी चलती हूँ 
सारे रास्ते दुआ माँगते  हैं मेरे आने का 
और तुम्हे धोड़ा भी गुरुर नहीं हैं मुझे पाने का 

खो जाउंगी इस दुनिया के भीड़  में  कहीं 
अगर ये चेहरा लगाया तुमने ये दुनिया का 
फिर मैं कभी नहीं मिलूंगी इस ज़माने में 
फिर ये मत कहना वो आई नहीं, मुझे अपसोस हैं उसके जाने का 


Tuesday, May 1, 2018

मेरे मालिक मेरा भी नाम अमीरों में दर्ज कर दे




मेरे मालिक मेरा भी नाम अमीरों में दर्ज कर दे 
और गरीबों पे जुल्म ढाने का हक़ दे दे
मेरे चहरे से हर शख्स  पहचाने 
शोहरत में मेरा भी नाम शामिल कर दे

लोग पूछें मेरे भी हौसले के  बारे में 
कुछ तो ऐसा करामात कर  दे 
और हर आशिकों की जुबान पे मेरा भी नाम  हो 
मोहब्बत में  कुछ ऐसा मुकाम  दे  दे 

नज़र अंदाज ना कर सके ये जमाना 
कोई ऐसा एक हुनर मेरे अंदर भर दे
और मर के भी मैं जिन्दा रहूँ 
कोई ऐसा एक काम मुझसे करा दे  

Saturday, April 21, 2018

माल है गांजा है या मारिजुआना है ये क्या है



माल है गांजा है या मारिजुआना है ये क्या है 
कल्पना का सार है या कल्पना का भण्डार है आखिर ये क्या है 
फेफड़ों तक जाता है ब्रहमाण्ड तक घुमाता है
अघोरियों का प्रिय है महाकाल का प्रसाद है आखिर ये क्या है 

चिलम का मित्र है या रिज़ला का सखा है 
बीज से निकलता है झाड़ी - पत्ती बनके उभरता है आखिर ये क्या है 
प्रकृत की गोंद में ये पलता है जमीन से जुड़ के ये रहता है 
बारिशों में भिगता है धूप में ये जलता है आखिर ये क्या है 

टहनी - टहनी ये टूटता है अपनी आखों के सामने ये सूखता है 
अलग भौकाल इसका रहता है , पत्तियों के साथ मैल इसका बिकता है आखिर ये क्या है 
पूरी दुनिया में ये घुमता है , एकाग्रता में लीन ये रहता है  
कई बिमारों का नास ये करता है,  औषधियों में नाम इसका रहता है  आखिर ये क्या है 


Monday, April 16, 2018

मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे



मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे
मेरे सर पे पैर रख के ये गुज़र जायेंगे 
अगर कोई खड़ा हो जाये इनके जुर्म की राह पे
तो उसके  ज़िन्दगी का सौदा ये कर जायेंगे

ये जो हिन्दू - मुस्लिम का कारवां खड़ा है
इनमे इंसानों का चेहरा कहाँ पड़ा है
और शहरों में मुझे खुलेआम जला देंगे
और धर्म - जाति की लड़ाई में, मेरी मौत को छुपा लेंगे

अगर बच निकला इनके चक्रव्यू  से मैं
तो मुझे पता है बलि चढ़ जाऊंगा खुदा के नाम पे मैं
कोई भक्त नहीं बचेगा ये खुदा तेरे शहर में
फिर कौन पूजेगा तुझे इन मंदिर और महजिदों के दरबार में

आप क्यों मुझे हैवान बनाने पे तुले हो
मेरे पैरों को काट के मुझे चलना सिखाते हो
अगर हिन्दू ही बनाना था मुझे
तो मुस्लिमों जैसा  खून मेरी रगों में क्यों दौड़ाते हो

खुदा कहूँ या भगवान कहूँ तुझे
ये पहले क्यों नहीं बताया मुझे
बड़ी बनावटी सी लगने लगी हैं ये दुनिया
इतना हो जाने के बाद भी तुझे नज़र नहीं आती ये कमीयां


Thursday, April 12, 2018

हद में रहो, ऐ सरकार चलाने वालों



हद में रहो, ऐ सरकार चलाने वालों
थोडा तो सरम  करो, ऐ दाल में कंकड़ मिलाने वालों
यहाँ घरों को जला दिया किसी भीड़ ने
और  रैली ही करते रह गए , ये भीड़ बनाने वाले 

सिर्फ वोटों की ही क़द्र क्यों है
वोट देने वालों पे भी तो ध्यान दो , ऐ संसद चलाने वालों
जब अपनी बातों पे एतबार नहीं है
तो क्यूँ वादा करते फिरते हो, ऐ वादा करने वालों

उनसे क्या कहें, जो थोड़े से पैसे और शराब में  बिक जाते हैं
कोई और कारोबार क्यों नहीं कर लेते, ऐ इंसान खरीदने वालों
ये  सब एक हि  हैं जो हमारी आखों के सामने लड़ते हुए दिखते हैं
थोड़ा तो परखना सीख लो , ऐ वोट देने वालों

ये तुम्हे जख्म देके, मरहम लगायेंगे
तुम्हारी लाचारियों को, मुद्दा बनायेंगे
तुम्हे ही सम्भलना  होगा, ऐ चोट खाने वालों

हर बेटी के बलात्कार पे, सब रोते ही रहते हैं
अरे कुछ करते क्यों नहीं, ऐ रोने वालों
और तुम्हारी भी बारी एक दिन आयगी
तुम्हारी आखों से भी आंसू निकलेगा, ऐ देखने वालों   

Monday, April 9, 2018

इश्क करना चाहता हूँ



इश्क करना चाहता हूँ 
है क्या, कोई खाली 
किसी से  गुफ्तगूँ करना चाहता हूँ 
है क्या,  कोई राजी 

जो बातें रह गयी है मेरी 
वो बता देना चाहता हूँ 
रास्तों में दीवार खड़ी मत करना मेरे 
ये पहले ही समझा देना चाहता हूँ 

और तुम  डरना मत किसी से
मेरे रुतबे को पहचान लेना 
वो लड़ने से पहले हार जाते हैं 
जो मेरे खिलाफ खड़े हो जाते हैं 

और वो क्या लुटेंगे तुम्हे 
जो खुद लुटने से बच नहीं पाए 
जिस दिन तुम्हारा साया, उनके उपर से उठ जायेगा 
कोई भी हो, वो इस जहां में टिक नहीं पायेगा 




Monday, April 2, 2018

अपने चहरे पे पर्दा नहीं रखती हूँ



अपने चहरे पे पर्दा नहीं रखती हूँ
जैसी हूँ, वैसी ही नज़र आती हूँ
आसमा की तरह नहीं हूँ 
की हर तरह गिरती हुई नज़र आउँ

हाँ कमजोर है मेरे प्यार की दीवार
जो हर कोई तोड़ के निकल जाता है
और तोड़ने वालों से कह देना कोई
ये हमारा दिल है हमेसा खुला रहता है

तुम्हे क्या लगता है, हम मर जायेगें
तुम जिसके भी करीब जाओगे, हमीं याद आयेंगे
और रहने दो मत बचाओ उन रिश्तों को
जिनमे "यकीन" ना हो ........
वो पत्ते हमेशा बिखर के खो जाते हैं 
जो डालियों से अलग हो जाते हैं 

दिल भर जाये जो तुम्हारा उस तरफ 
तो लौट आना मेरे आशियाने की  तरफ 
ये मेरे रिश्ते हैं 
यहाँ नफ्रतें जरा देर से आती हैं  


Saturday, March 24, 2018

जब मुझे सुनने वालों की तादात बढ़ जाएगी


जब मुझे सुनने वालों की तादात बढ़ जाएगी
तो तुम मुझे नज़र अंदाज करना भूल जाओगे
माना की मेरी कमजोरियों पे तुम्हे आज हंसी आ रही है
लेकिन, जब तुम्हारे अपने ही मेरी तारीफ करेंगे , तो तुम डर  जाओगे

जब पैसों की आंधियाँ आएंगी
तो तुम्हारे हर एक हुनर को उड़ा ले जायेंगी 
तुम कुछ कर नहीं पाओगे
और हर किसी से तुम्हारी दूरियाँ बढ़ जायेंगी

तुम्हारी सारी की सारी  होशियारी धरी की धरी रह जाएगी
जब तुमसे ही हारा हुआ कोई, तुम्हे हरायेगा
और बरसों पहले जो आंसू तुम्हारी आँखों में सूख गया था
वो फिर तुम्हारी पलकों पे नज़र आयेगा

वो नफ्रतें जो तुमने पैदा किया था
खुद में ............
वो जल के राख हो जायेगा
जब तुम पूरी तरह से बिखर जाओगे

जब तुम्हारे पास कोई नहीं आयेगा
तो हर एक दुश्मन तुम्हे दोस्त नज़र आयेगा
और तुम हर किसी से प्यार करना चाहोगे
लेकिन इस राह पे तुम अकेले ही रह जाओगे 







Sunday, March 18, 2018

मत करना यकीं मुझपे


मत करना यकीं मुझपे
मैं खुद नहीं करता भरोसा किसी पे 
तुम रहने दो, मत जाओ, खुद की तारीफों पे 
तुम्हारी नज़रें ही पहचान लेगी, जब आयेगा तुम्हारा चेहरा आईना पे 

वो मेरी मोहब्बत को संभाल नहीं पाये
घर वाले मानेगे नहीं, ये कहके चले गए 
वो लाये थे इश्क का चिराग, तूफानों की बस्तियों में 
एक बार फिर इश्क को बदनाम कर गए 

तुम्हें डर था बिक जाने का 
तो मुझे नीलाम कर देते 
छुपा लेते हर किसी से अपना नाम 
मुझे बदनाम कर देते 

अब जाओ तुम अपनी मंजिल की तरफ 
अपना तो रास्ता ही दूसरी तरफ है 
रोना ना मेरे सामने, कहीं ऐसा ना हो 
अपना रास्ता घुमाके, तुम्हारी मंजिल की तरफ कर लूँ 

Saturday, March 10, 2018

मेरी नज़रों की बात ना कर


मेरी नज़रों की बात ना कर 
खुद  पे भी तो गौर कर
हर जुर्म मेरा ही क्यूँ 
कदम तो तेरे भी ना रुके इस राह पे  

करीब आना अगर मेरी गलती थी 
तो दूरियाँ तुमने क्यों नहीं बढाया 
वो रातें  यादगार हुई तो क्या 
इसमें साथ तेरा भी तो था 

अब बात छोड़ो भी लोगों की 
मैं किसी के जुबां  पे पहरा नहीं देता हूँ  
ज़िन्दगी सिर्फ तारीफों से भरी नहीं है 
गाली मिले तो उसका भी स्वागत कर लेता हूँ

तुम्हे लगता है की हमारा प्यार बदनाम हो रहा है
तो हो जाने दो
शोहरत का ये भी एक पहलू है
बस खुश इतने से रहो
की हर किसी की जुबां पे अपना नाम तो जिंदा रहेगा

Tuesday, March 6, 2018

एक बार फिर रंगों से मुलाकात हुई

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एक बार फिर रंगों से मुलाकात हुई 
बातों का सिलसिला तेजी से चला 
फिर ना जाने क्यों रुक-रुक के ख़त्म तक पहुँच गयी 
मैंने एक रंग से पूछा 
कैसे हो बहुत दिन के बाद मुलाकात हुई 
मुस्कुराते हुए उसका बयां था 
हाँ आज के ही दिन हमारी जनसंख्या बड़ती है 
और आज के ही दिन कम भी हो जाती है
आज के ही दिन हम लोगों के सर से सरकते हुए 
पाँव के निचे चले जाते हैं 
उसने मुझसे भी पूछा 
की तुम बताओ, तुम्हारी उम्र तो 
60-70 साल से भी बड़ी होती है 
तुम लोग तो बहुत कुछ कर लेते हो
लेकिन फिर भी अंत में तुमलोग भी 
पाँव के नीचे ही दफ़न हो जाते हो 
क्या रिश्ता है इस जमीन से 
जो हर कोई इसी में जाके मिल जाता है 
और मुस्कुराते हुए वो रंग मेरे हाथों से नीचे गिर गया   
उसका रंग हरा था 
वो गिरते हुए कहा 
होली मुबारक हो ...............................

Thursday, March 1, 2018

Happy Holi


बेटा बोला, पापा हमने होली खूब खेली

बेटा बोला, पापा हमने होली खूब खेली 
मैंने बोला, बेटा पिछली होली में तुम नहीं थे 
उसके बीतने के बाद तुम हुए पैदा 
ये होली के दिन की अभी शुरुआत है 
पहले ये बताओ तुम्हारी मम्मी हैं कहाँ 
उनको भी रंगों से करायें हम मुलाकात
मोहतरमा गुस्से में किचेन से किया बहार 
मूड हमारा हुआ ख़राब 
दो पैग मारने के बाद 
फिर से हुआ तैयार 
इस बार हमने एक ना सुनी 
हैप्पी होली ..हैप्पी होली बोलके 
बाहों में लिया भर 
ऐसी होली हमने खेली 
की अगली होली पे शायद 
दो बेटों का हो जाऊंगा मैं बाप 
हैप्पी होली ....

Monday, February 26, 2018

गुलामी क्या होती है

गुलामी क्या होती है

गुलामी क्या होती है
मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता
हर जुर्म सह लेता हूँ आजीवन
कभी आजादी नहीं मांगता

जो आता अपनी मर्जी से
मुझे बजा देता है
मैं क्या बजना चाहता हूँ
मुझसे कोई नहीं पूछता है

मैं बजते - बजते थक जाता हूँ
बजा के मुझे छोड़ देते हैं
थकान का असर जैसे ही मेरी आवाज पे होती  है
पीछे से कोई ठोक देता है

मैं लड़ भी तो नहीं सकता किसी से
इंसानों ने मेरा हाथ नहीं बनाया
स्पीकर नाम देके
क्या खूब मुझे बनाया





Thursday, February 22, 2018

कल मेरे बच्चे की मौत हो गई


कल मेरे बच्चे की मौत हो गई 
लोग मुझे रोने नहीं दिए 
मेरा रोना इंसानों के लिए अपशगुन हो जाता है 
लोग मुझे मार के भगा दिए 

कब्र मिली की नहीं उसे 
मुझे नहीं पता 
क्यों लोगों में इतनी नफरतें हैं 
ये  भी  नहीं पता 

मेरा कोई मालिक नहीं है 
मैं आज़ाद हूँ 
रहने का कोई ठिकाना नहीं है 
मैं बिल्ली हूँ  


Saturday, February 17, 2018

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना



चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
हम आगे निकल आये 
या वो आगे निकल गया 
किसी आते हुए मुसाफ़िर से पूछो जरा 
क्या आगे मिला था वो 
अगर नहीं, तो पीछे मिले, तो भेजना 
कोई इंतज़ार कर रहा है 
उसे इतना तो कहना 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
तुम अपनी इज्जत के पिटारे को रहने दो 
ये इनका जवाना है इन्हें जीने दो 
ये जात-पात अपने पास रखो 
ये मोहब्बत है इसे रहने दो 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना
"इश्क" एक शब्द बन कर रह गया है 
facebook, twitter का जमाना आ गया है 
whatsapp से बातों का सिलसिला शुरू  हो गया है 
आशिकों को देखे हुए जमाना हो गया है 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
valentine day को त्योहार ना बनाना 
इश्क दिल की चीज है 
इसमें दिमाक ना लगाना 
वो सादगी , वो मुस्कुराना 
कितना मुश्किल था 
एक - दुसरे के करीब आना 
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 



Wednesday, February 14, 2018

वो लोग बहुत दूर निकल गए



वो लोग बहूत दूर निकल गए
जो पहले बहुत करीब थे
कुछ अभी देखने को मिल जाते हैं
तो कुछ हमेशा के लिए गायब हो  गए

वो चेहरे तुम्हे याद आते हैं
या आज के चेहरे में खो गए हो
मैं अब चेहरे पे ध्यान नहीं देता हूँ
उसके पीछे जो छुपा है उससे मिल लेता हूँ

मेरे सारे दोस्त मौत के घर चले गए 
सभी मतलबी थे अकेले चले गए 
कई दिनों बाद पता चला, दोस्त  सही थे 
मौत ने ही नेवता नहीं दि थी 

Sunday, February 4, 2018

कहीं दूर जाना चाहते हैं हम



कहीं दूर जाना चाहते हैं हम
इंसान हैं, इंसानों से डरते हैं हम 
वो बुला के नहीं आते हैं 
शायद इंसान होने का सबूत देते हैं 

तुम डर जाओगे 
अगर किसी के बहुत करीब जाओगे
चेहरे के परदे से 
हर किसी की असलियत झलकती नज़र आएगी

तुम कुछ कर नहीं पाओगे
जब उसकी ईमानदारी तुमसे लड़ेगी तो 
उसकी बुराईयों को भी पता है 
की उसकी  वफ़ादारी उसको  बचा लेगी 

Tuesday, January 30, 2018

कभी - कभी खुद को भी वक्त दिया करो



कभी - कभी खुद को भी वक्त दिया करो 
जो है तुझमे उससे भी मिला करो 
सैलाब किनारों को छोड़ जाते हैं 
एक समंदर है जो बार - बार किनारों को चूमता है 

बाहरी  बातों में बहुत कुछ नहीं  है 
जो दुनिया है तुझमे, उसमे भी जीते रहो 
कहने को कोई बात बाकी ना रहे 
बुरा वक्त हो तो अपनों को आजमाते रहो 

छोड़ दो उन्हें उनकी राह  पे 
जो हार जाने से डरते हैं 
वो क्या लड़ेंगे ज़माने से 
जो मोहब्बत करने से डरते हैं 


Monday, January 29, 2018

यार मुझे बचा लो



Akhand



यार मुझे  बचा लो 
मुझमे कोई  बहरूपिया रहता  है 
कहीं खो ना जाऊं मैं 
मुझमे कोई  जंगल भी रहता है  

मुझे पकड़ो वहां नफ्रतें जादे हैं 
मुझमे  कई शरहदें भी हैं 
यार कोई तो आओ उजाला लेके
मुझमे अंधेरों का काफ़िला भी है

दूर से ही मुझे बचा लेना
मुझमे प्यार का  बंधन भी है
मिलना भी तो देर तक ना मिलना
मुझमे थोड़ी नफ्रत भी  है 

Sunday, January 21, 2018

तुम अकेले हो ये मान लो

अखण्ड प्रताप चौहान


तुम अकेले हो ये मान लो 
तुमसे रिश्ते सँभलते नहीं ये भी जान लो 
हर कोई नाराज़ है 
तुम्हे तो मनाना  भी नहीं आता  

बड़ी मुश्किल से मिलते हैं लोग 
तुम ये नादानियां करना छोड़ दो 
कैसे रहना है किसके साथ 
ये तुम पहले जान लो 

अकेले जीना इतना आसान नहीं होता  
पागल हो जाओगे इन तन्हाइयों के बीच 
तुम्हें लोगों की जरुरत है 
ये तुम कुबूल करलो

अपने पास लोगों को आने दो 
अच्छे ना सही बुरे ही सही 
फूलों की हिफाज़त कांटे ही करते हैं 
इन्हें संभाल के रखो
तुम अकेले हो ये मान लो 

Monday, January 15, 2018

आज बिछड़ने की मेरी बारी थी


Nature

आज बिछड़ने की मेरी बारी थी 
मैं दरिया का नहीं, समंदर का कतरा हूँ 
ये जुदाई कई दिनों की नहीं 
मिलना और बिछड़ना हर रोज का सिलसिला है

आज मैं छूटा हूँ 
कल मेरी जगह कोई और होगा 
तुम किसी से नहीं बिछड़ते 
तुम्हारा कोई नहीं है क्या 

समंदर से जुदा होके
मैं बेजान सा हो जाता हूँ 
पत्थरों के बीच मुझे छोड़ जाता है 
लहरें बनाने का हुनर भी छीन ले जाता है 

Wednesday, January 10, 2018

अगर किनारों से लौट गए

Chunmun

अगर किनारों से लौट गए 
तो दिल को समझाना मुश्किल होगा 
इन लोगों की मत सुनना  
नहीं तो आँसुओं का गिरना भी कम ना होगा 

तोड़ना ही है  दिल को 
तो थोड़ा और परेशान करते हैं इसको 
इतना जल्दी भी क्या है 
चलो  कुछ दूर और चलते हैं 

जब क़ुबूल कर रहा है जमाना हमें 
तो हम बिछड़ने की बातें क्यों करते हैं 
अगर तुम्हें प्यार से डर लगता है 
तो चलो  कुछ और बातें करते हैं 






Monday, January 8, 2018

खुद को देख लिया है हमने


Chunmun

खुद को देख लिया है हमने 
आपकी बाहों में लिपटे हुए 
इन आखों की संदूकों को भी खोल के देख लो 
खुला छोड़ा है हमने कई सालों से आप के लिए 

अब ये मत कहना की .......
ताला लगा लो, लुट जाओगे 
यहाँ दिलों की सौदेबाजी चलती है
तुम अभी बच्चे हो संभल जाओ 
यहाँ बूढ़ों की भी नहीं चलती है 

अगर ऐसा है तो ......
लूट लीजिये हमे 
बस लूटने के लिए किसी और को ना भेज देना 
हम तो दफ़न ही होना चाहते हैं 
बस जगह तो हो आप की बाहों में  




Thursday, January 4, 2018

कहने को बहुत कुछ बाकी सा रह जाता है


रोमांस

कहने को बहुत कुछ बाकी सा रह जाता है 
जब किसी की बातें अच्छी लगने लगती है 
शर्माना सीख जाते हैं हम 
जब किसी से चुप -चुप के प्यार करने लगते हैं हम  

इजहार कैसे करते हैं 
ये किसी जुआ से कम नहीं है 
कभी आँख बंद करके भी उसे देखना 
आँखों पे इतना भरोसा मत करना  

उसकी हँसी में जी लेना 
और उसके गम में भी थोडा रो लेना 
मौका मिले अगर खुद से 
तो ज़िंदगी भर के लिए उसका हो लेना 



समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...