कहने को बहुत कुछ बाकी सा रह जाता है
जब किसी की बातें अच्छी लगने लगती है
शर्माना सीख जाते हैं हम
जब किसी से चुप -चुप के प्यार करने लगते हैं हम
इजहार कैसे करते हैं
ये किसी जुआ से कम नहीं है
कभी आँख बंद करके भी उसे देखना
आँखों पे इतना भरोसा मत करना
उसकी हँसी में जी लेना
और उसके गम में भी थोडा रो लेना
मौका मिले अगर खुद से
तो ज़िंदगी भर के लिए उसका हो लेना
Very nice Akhand Nice thought.
ReplyDeleteUttam
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