Saturday, February 17, 2018

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना



चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
हम आगे निकल आये 
या वो आगे निकल गया 
किसी आते हुए मुसाफ़िर से पूछो जरा 
क्या आगे मिला था वो 
अगर नहीं, तो पीछे मिले, तो भेजना 
कोई इंतज़ार कर रहा है 
उसे इतना तो कहना 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
तुम अपनी इज्जत के पिटारे को रहने दो 
ये इनका जवाना है इन्हें जीने दो 
ये जात-पात अपने पास रखो 
ये मोहब्बत है इसे रहने दो 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना
"इश्क" एक शब्द बन कर रह गया है 
facebook, twitter का जमाना आ गया है 
whatsapp से बातों का सिलसिला शुरू  हो गया है 
आशिकों को देखे हुए जमाना हो गया है 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
valentine day को त्योहार ना बनाना 
इश्क दिल की चीज है 
इसमें दिमाक ना लगाना 
वो सादगी , वो मुस्कुराना 
कितना मुश्किल था 
एक - दुसरे के करीब आना 
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 



2 comments:

thank u so much...

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