गुलामी क्या होती है
मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता
हर जुर्म सह लेता हूँ आजीवन
कभी आजादी नहीं मांगता
जो आता अपनी मर्जी से
मुझे बजा देता है
मैं क्या बजना चाहता हूँ
मुझसे कोई नहीं पूछता है
मैं बजते - बजते थक जाता हूँ
बजा के मुझे छोड़ देते हैं
थकान का असर जैसे ही मेरी आवाज पे होती है
पीछे से कोई ठोक देता है
मैं लड़ भी तो नहीं सकता किसी से
इंसानों ने मेरा हाथ नहीं बनाया
स्पीकर नाम देके
क्या खूब मुझे बनाया
Ha ha ha sahi hai bava...
ReplyDeleteSahi h
ReplyDeleteSahi subject lete ho ustad! Fateh ho!
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