अगर आंसुओं को हाथ मिला होता
तो किसी के पोछने का उन्हें इंतज़ार ना होता
और दूसरों के मशवरों को छोड़कर खुद की सुना होता
तो शायद वो आज बर्बाद ना हुआ होता
उम्मीदें सूख कर कोयला ना होती
अगर कोई झूठा वादा ना किया होता
और उसके ज़ेहन में आग कैसे लगती
अगर ये चिंगारियां तुम ना उड़ाए होते
तुम्हारी बेचैनियों को कोई समझा भी ना होता
अगर उसकी कहानियों में तुम्हारा जिक्र ना हुआ होता
तुम्हारे शोहरत के खेत को भी बरसात मिली होती
अगर थोड़ी रिश्वत खुदा को दिया होता
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