Saturday, January 23, 2021

कुछ गल्तियाँ हमने भी की हैं




कुछ गल्तियाँ हमने भी की हैं
पूरा वफादार नहीं हैं हम 
औकात तो मेरी भी थी 
 नज़रें छुपा के निकलें भी हैं हम 

तारीफें तो बहुत मिली हैं 
कई बार अपनी नज़रों में गिरे भी हैं हम
जब - जब किसी को लूटने की कोशिश किया है
 कई बार सरेआम लूटें भी हैं हम

हर कोई समझाने में लगा है की वो झूठा नहीं है
झूठ वफ़ादारों के गले में लटकते देखे भी हैं हम
जो कहते हैं बेंच दुंगा सारे आम सबको
उन्हें ही हर जगह बिकते देखे भी हैं हम  




समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...