Thursday, April 12, 2018

हद में रहो, ऐ सरकार चलाने वालों



हद में रहो, ऐ सरकार चलाने वालों
थोडा तो सरम  करो, ऐ दाल में कंकड़ मिलाने वालों
यहाँ घरों को जला दिया किसी भीड़ ने
और  रैली ही करते रह गए , ये भीड़ बनाने वाले 

सिर्फ वोटों की ही क़द्र क्यों है
वोट देने वालों पे भी तो ध्यान दो , ऐ संसद चलाने वालों
जब अपनी बातों पे एतबार नहीं है
तो क्यूँ वादा करते फिरते हो, ऐ वादा करने वालों

उनसे क्या कहें, जो थोड़े से पैसे और शराब में  बिक जाते हैं
कोई और कारोबार क्यों नहीं कर लेते, ऐ इंसान खरीदने वालों
ये  सब एक हि  हैं जो हमारी आखों के सामने लड़ते हुए दिखते हैं
थोड़ा तो परखना सीख लो , ऐ वोट देने वालों

ये तुम्हे जख्म देके, मरहम लगायेंगे
तुम्हारी लाचारियों को, मुद्दा बनायेंगे
तुम्हे ही सम्भलना  होगा, ऐ चोट खाने वालों

हर बेटी के बलात्कार पे, सब रोते ही रहते हैं
अरे कुछ करते क्यों नहीं, ऐ रोने वालों
और तुम्हारी भी बारी एक दिन आयगी
तुम्हारी आखों से भी आंसू निकलेगा, ऐ देखने वालों   

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