Friday, February 26, 2021

दो ही चार दिन खेल के




 दो ही चार दिन खेल के 

वो ज्ञान पेलने लगा 

हम बरसों बिताये 

हम ही को रेलने लगा 


सामने मुझे बिठा के 

खुद ही खेलने लगा 

कहानियों के बीच में रख के 

करैक्टर निभाने लगा 


वो रुक गया ग़लतियाँ कर के 

मैं मुस्कुराने लगा 

वो रत्ती - रत्ती पूछ के 

खुद को निखारने लगा 



Wednesday, February 24, 2021

नफ़्रतों को हम दावत पे बुलाएँगे

 


नफ़्रतों को हम दावत पे बुलाएँगे 

और फिर बताएँगे उन्हें मरना होगा 

खुशियां चाहे जितना गिड़गिड़ाएं 

उन्हें जंजीरों में बांधना होगा 


कुछ रिस्ते कपड़ों की तरह फटेंगे 

उन्हें बातों से तुरपाई करना होगा 

लोग आँखें ना चुराएं 

ऐसा माहौल बना के रखना होगा 


लोग वक्त की तरह बिछड़ते चले जायेंगे 

बातों में मोहब्बत परोसना होगा 

कितना भी चिल्लाओ बदल नहीं पाओगे 

वक्त आने पे सबको मरना होगा 



Tuesday, February 23, 2021

हम प्यार करें या ना करें



 


हम प्यार करें या ना करें 

तुम्हे प्यार करना होगा 

हम झगड़ा रोज़ करेंगे 

तुम्हे सिर्फ सुनना होगा 


तुम्हारे मौन का क्या करें 

तुम्हे भी कुछ कहना होगा 

और रिस्ते ऐसे नहीं चलेंगे 

मुझे भी चुप रहना होगा 


हम क्यों ना तुझे रोज़ रुलाएं 

मेरे हंसने पे तुझे हंसना होगा  

बगैर तुम्हारे लोग भूल जायेंगे 

तुम्हे मेरे पास ही रहना होगा 

Sunday, February 21, 2021

सब कुछ हुआ



सब कुछ हुआ
बस यादगार नहीं हुआ
ऐसा नहीं की उम्मीद नहीं थी
बस हाथों में लकीर नहीं थी

कुछ भी नहीं हुआ  
अगर प्यार नहीं हुआ 
करने वाले कर के चले गए 
हम उम्मीद और लकीरों में फंसे रहे 

बहुत कुछ नहीं हुआ  
प्यार था प्यार ही हुआ 
मिले तो हम भी नहीं थे 
खतों का दौर था खतों से इजहार हुआ  

वही तो नहीं हुआ 
प्यार था यादों में शामिल हुआ 
क़दमों ने कई बार करवटें बदली 
हमने कहाँ बस अब बहुत हुआ 

Saturday, February 20, 2021

धरम संकट में पड़ गईल



छोड़ के रामलीला देखयं रासलीला 
चखना खइले पे कहें भईया तूँहूँ ले ला 
अब ना होई पाई रखवाली छोटकन कै
भांग गांजा पे खर्च होई जवानी 
धरम संकट में पड़ गईल

ना कोई बाजा , ना बाराती
ना ससुर , ना सास
मम्मी - पापा ना आइयें  
अब होई कोट - मैरेज
धरम संकट में पड़ गईल

ना हर - ज्वाठ , ना बरधा
ना गोबर की खाद
छिटल जाई यूरिया - डाई
और टक्टर से होई जोताई
धरम संकट में पड़ गईल

ना बकरी , ना गाय का दूध
ना नदियन कई दहिया
भूल गए मख्खन और माठा
बिकय पाउडर , पैकिट
धरम संकट में पड़ कईल

अब ना चलिहये   देशी - महुआ
ना चलिहय छत्तीसा
पियें झोर के रेड लेबल
और उपर से मांगे सोडा
धरम संकट में पड़ गईल

अब ना बिकी चटहिया चलेबी
ना केहू खाई गुड़ कई खाझा
चहिया पी के करें दवाई
अव मर गईले पे बजे शहनाई
धरम संकट में पड़ गईल

Friday, February 19, 2021

चेहरे पे उसके गहरी ख़ामोशी होती है




चेहरे पे उसके गहरी ख़ामोशी होती है  

हालातों से लड़ने की उसकी कोशिश होती है ||

तुम उसे डराने में लगे रहे 

वो अपने मंज़िलों से रूबरू है हर क़दम पे उसके चुनौती होती है || 


दिखता नहीं है मग़र बादलों में बारिश होती है 

क़रीब जाओगे उसके दिल के, तुम्हारे दर्द की भी वहां हिफाज़त होती है ||

कैसे संभल जाता है वो लड़खड़ा के 

जब उसके हाथों में बहनो की राखी होती है ||


जख्मों की क़तारें लगती है तब जाके उसके आँखों से बारिश होती है 

ज्यादा बकबक मत करो बातों पे उसके क्रांति होती है ||

हर किसी की तरह हल्के में तूँ लेता है जिसे 

सच कहूं तो मंज़िलें उसी को हासिल होती हैं ||


उसकी हाथों में जो क़लम ठहरती है 

रातों में उसकी उससे बातें होती हैं ||

यक़ीं ना हो तो इतिहास से जाके पूछो 

उसके घर में उसकी पूजा होती है ||

Thursday, February 18, 2021

दीमक

 



जिनका मुझसे थोड़ा विस्तार हुआ 

वो आज मुझे समझाने लगे हैं ||

मैंने अपने क़रीब आने दिया

वो मुझे लूट के अब जाने लगे हैं।।

 

जिन्हे थोड़ा सा हासिल हुआ

वो अब क़तराने लगे हैं ||

थोड़ी मुझमे क़ाबिलियत दिखी

वो लौट के वापस आने लगे हैं ।।

 

जिन्हे लोगों ने ठुकरा दिया 

वो लहरों से अब टकराने लगे हैं ||

लोगों ने जिसे ख़ूब रुलाया

वो अब मुस्कुराने लगे हैं ।।

 

जिन्हे मोहब्बत ने नकार दिया

वो अब प्रेम गीत गाने लगे हैं ||

लोगों ने जिन्हे भुला दिया था

आज उन्ही की बातें करने लगे हैं ||

 

जिन्हे ठोकरों ने कई बार गिराया

आज रास्ते उन्हें सम्हालने लगे हैं ||

रोटियां अक्सर जिनकी जल जाया करती थीं

वो आज माल-पुआ खाने लगे हैं ||

 

जिनसे बरसों तक मोम नहीं पिघला

वो आज पत्थर पिघलाने लगे हैं ||

चारो तरफ जिसकी बुराइयां होती थीं

आज वो तारीफों में नहाने लगे है ||

 

जो देश को बचाने में नेता बन गए

वो आज दीमक बनके चबाने लगे हैं ||

खुद को जो नास्तिक बताते थे

वो आज मंदिरमस्जिद जाने लगे हैं ||

समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...