Tuesday, May 22, 2018

बस करो कितना नाराज़ रहोगे



बस करो कितना नाराज़ रहोगे
बिना बोले कोई तरीका है समझाने का
कुछ दिन और जी लेते हैं इश्क में
तुम इशारा मत करो छोड़ जाने का

मैं अकेले नहीं रह पाती हूँ 
तुम्हे थोड़ी भी फिकर नहीं है मेरे  गुम हो जाने का 
बेचैनियाँ दूर रहें ये गुज़ारिश हैं मेरी 
मुझे तो परवाह ही नहीं है खुद बिखर जाने का 

जिस राह  पर भी चलती हूँ 
सारे रास्ते दुआ माँगते  हैं मेरे आने का 
और तुम्हे धोड़ा भी गुरुर नहीं हैं मुझे पाने का 

खो जाउंगी इस दुनिया के भीड़  में  कहीं 
अगर ये चेहरा लगाया तुमने ये दुनिया का 
फिर मैं कभी नहीं मिलूंगी इस ज़माने में 
फिर ये मत कहना वो आई नहीं, मुझे अपसोस हैं उसके जाने का 


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thank u so much...

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