Sunday, January 21, 2018

तुम अकेले हो ये मान लो

अखण्ड प्रताप चौहान


तुम अकेले हो ये मान लो 
तुमसे रिश्ते सँभलते नहीं ये भी जान लो 
हर कोई नाराज़ है 
तुम्हे तो मनाना  भी नहीं आता  

बड़ी मुश्किल से मिलते हैं लोग 
तुम ये नादानियां करना छोड़ दो 
कैसे रहना है किसके साथ 
ये तुम पहले जान लो 

अकेले जीना इतना आसान नहीं होता  
पागल हो जाओगे इन तन्हाइयों के बीच 
तुम्हें लोगों की जरुरत है 
ये तुम कुबूल करलो

अपने पास लोगों को आने दो 
अच्छे ना सही बुरे ही सही 
फूलों की हिफाज़त कांटे ही करते हैं 
इन्हें संभाल के रखो
तुम अकेले हो ये मान लो 

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