Sunday, February 21, 2021

सब कुछ हुआ



सब कुछ हुआ
बस यादगार नहीं हुआ
ऐसा नहीं की उम्मीद नहीं थी
बस हाथों में लकीर नहीं थी

कुछ भी नहीं हुआ  
अगर प्यार नहीं हुआ 
करने वाले कर के चले गए 
हम उम्मीद और लकीरों में फंसे रहे 

बहुत कुछ नहीं हुआ  
प्यार था प्यार ही हुआ 
मिले तो हम भी नहीं थे 
खतों का दौर था खतों से इजहार हुआ  

वही तो नहीं हुआ 
प्यार था यादों में शामिल हुआ 
क़दमों ने कई बार करवटें बदली 
हमने कहाँ बस अब बहुत हुआ 

1 comment:

thank u so much...

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