नफ़्रतों को हम दावत पे बुलाएँगे
और फिर बताएँगे उन्हें मरना होगा
खुशियां चाहे जितना गिड़गिड़ाएं
उन्हें जंजीरों में बांधना होगा
कुछ रिस्ते कपड़ों की तरह फटेंगे
उन्हें बातों से तुरपाई करना होगा
लोग आँखें ना चुराएं
ऐसा माहौल बना के रखना होगा
लोग वक्त की तरह बिछड़ते चले जायेंगे
बातों में मोहब्बत परोसना होगा
कितना भी चिल्लाओ बदल नहीं पाओगे
वक्त आने पे सबको मरना होगा
No comments:
Post a Comment
thank u so much...