कभी - कभी खुद को भी वक्त दिया करो
जो है तुझमे उससे भी मिला करो
सैलाब किनारों को छोड़ जाते हैं
एक समंदर है जो बार - बार किनारों को चूमता है
बाहरी बातों में बहुत कुछ नहीं है
जो दुनिया है तुझमे, उसमे भी जीते रहो
कहने को कोई बात बाकी ना रहे
बुरा वक्त हो तो अपनों को आजमाते रहो
छोड़ दो उन्हें उनकी राह पे
जो हार जाने से डरते हैं
वो क्या लड़ेंगे ज़माने से
जो मोहब्बत करने से डरते हैं