Monday, February 26, 2018

गुलामी क्या होती है

गुलामी क्या होती है

गुलामी क्या होती है
मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता
हर जुर्म सह लेता हूँ आजीवन
कभी आजादी नहीं मांगता

जो आता अपनी मर्जी से
मुझे बजा देता है
मैं क्या बजना चाहता हूँ
मुझसे कोई नहीं पूछता है

मैं बजते - बजते थक जाता हूँ
बजा के मुझे छोड़ देते हैं
थकान का असर जैसे ही मेरी आवाज पे होती  है
पीछे से कोई ठोक देता है

मैं लड़ भी तो नहीं सकता किसी से
इंसानों ने मेरा हाथ नहीं बनाया
स्पीकर नाम देके
क्या खूब मुझे बनाया





Thursday, February 22, 2018

कल मेरे बच्चे की मौत हो गई


कल मेरे बच्चे की मौत हो गई 
लोग मुझे रोने नहीं दिए 
मेरा रोना इंसानों के लिए अपशगुन हो जाता है 
लोग मुझे मार के भगा दिए 

कब्र मिली की नहीं उसे 
मुझे नहीं पता 
क्यों लोगों में इतनी नफरतें हैं 
ये  भी  नहीं पता 

मेरा कोई मालिक नहीं है 
मैं आज़ाद हूँ 
रहने का कोई ठिकाना नहीं है 
मैं बिल्ली हूँ  


Saturday, February 17, 2018

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना



चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
हम आगे निकल आये 
या वो आगे निकल गया 
किसी आते हुए मुसाफ़िर से पूछो जरा 
क्या आगे मिला था वो 
अगर नहीं, तो पीछे मिले, तो भेजना 
कोई इंतज़ार कर रहा है 
उसे इतना तो कहना 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
तुम अपनी इज्जत के पिटारे को रहने दो 
ये इनका जवाना है इन्हें जीने दो 
ये जात-पात अपने पास रखो 
ये मोहब्बत है इसे रहने दो 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना
"इश्क" एक शब्द बन कर रह गया है 
facebook, twitter का जमाना आ गया है 
whatsapp से बातों का सिलसिला शुरू  हो गया है 
आशिकों को देखे हुए जमाना हो गया है 

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 
valentine day को त्योहार ना बनाना 
इश्क दिल की चीज है 
इसमें दिमाक ना लगाना 
वो सादगी , वो मुस्कुराना 
कितना मुश्किल था 
एक - दुसरे के करीब आना 
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना 
खतों से इज़हार का फ़साना 



Wednesday, February 14, 2018

वो लोग बहुत दूर निकल गए



वो लोग बहूत दूर निकल गए
जो पहले बहुत करीब थे
कुछ अभी देखने को मिल जाते हैं
तो कुछ हमेशा के लिए गायब हो  गए

वो चेहरे तुम्हे याद आते हैं
या आज के चेहरे में खो गए हो
मैं अब चेहरे पे ध्यान नहीं देता हूँ
उसके पीछे जो छुपा है उससे मिल लेता हूँ

मेरे सारे दोस्त मौत के घर चले गए 
सभी मतलबी थे अकेले चले गए 
कई दिनों बाद पता चला, दोस्त  सही थे 
मौत ने ही नेवता नहीं दि थी 

Sunday, February 4, 2018

कहीं दूर जाना चाहते हैं हम



कहीं दूर जाना चाहते हैं हम
इंसान हैं, इंसानों से डरते हैं हम 
वो बुला के नहीं आते हैं 
शायद इंसान होने का सबूत देते हैं 

तुम डर जाओगे 
अगर किसी के बहुत करीब जाओगे
चेहरे के परदे से 
हर किसी की असलियत झलकती नज़र आएगी

तुम कुछ कर नहीं पाओगे
जब उसकी ईमानदारी तुमसे लड़ेगी तो 
उसकी बुराईयों को भी पता है 
की उसकी  वफ़ादारी उसको  बचा लेगी 

समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...