Thursday, March 25, 2021

चेहरा देखे हुए ज़माना हो गया



 

चेहरा देखे हुए ज़माना हो गया 

नक़ाबों में इंसानों का रहना हो गया 

खुद को इतना शातिर ना समझों 

कमियां छुपाने का दौर अब पुराना गया 


रूठे हुए बारिशों के बाद अब मौसम सुहाना हो गया

जहाँ लोग जाने से डरते थे वहां आज मैखाना हो गया 

सिद्दत से निभाया था दरबारी का काम वो 

पूरे दरबार में आज उसी का मालिकाना हो गया 


ऐसी ही थी उसकी खूबसूरती की मैं दीवाना हो गया 

ना चाहते हुए भी उसके दर्द पे मुस्कुराना हो गया 

बस इतने ही खिस्से से पछताना हो गया 

अब हम दोनों का अलग-अलग आना-जाना हो गया 

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thank u so much...

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