चेहरा देखे हुए ज़माना हो गया
नक़ाबों में इंसानों का रहना हो गया
खुद को इतना शातिर ना समझों
कमियां छुपाने का दौर अब पुराना गया
रूठे हुए बारिशों के बाद अब मौसम सुहाना हो गया
जहाँ लोग जाने से डरते थे वहां आज मैखाना हो गया
सिद्दत से निभाया था दरबारी का काम वो
पूरे दरबार में आज उसी का मालिकाना हो गया
ऐसी ही थी उसकी खूबसूरती की मैं दीवाना हो गया
ना चाहते हुए भी उसके दर्द पे मुस्कुराना हो गया
बस इतने ही खिस्से से पछताना हो गया
अब हम दोनों का अलग-अलग आना-जाना हो गया