अगरबत्ती स्टैंड |
अगरबत्ती स्टैंड को किसने हुक्म दे दिया
इन धुओं को टुकड़ों में बिखेरने की
और साजिस किसकी थी
जलते हुए को कैद करने की
चाह के भी वो खुद को बुझा ना पाया
ऐसी आग लगी थी उसके बदन पे
और उतने ही हवाओं को मिलने दिया गया
ताकि वो मिलके कहीं उसे बुझा न दें
हर कोई कर्जदार हो गया
उसके बिखरे हुए खुशबू की
और वो जल के राख हो गया
ऐसी बेवफाई थी उसके खुशबू की
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