बहुत कुछ हम भी सिखाएंगे
ज़िन्दगी भर सीखते ही नहीं रह जायेंगे
ख़ामोशियों को ज़रा इकठ्ठा तो हो जाने दो
फिर देखना हम शोर कैसे मचाएंगे
झूठ हम भी सलीके से बोलेंगे
सच के अंगारों में जलते ही नहीं रह जायेंगे
अभी गुनाह करने की आदत तो पड़ जाने दो
फिर मौत का खेल हम भी दिखाएंगे
गलियों में मार पीट हम ना करेंगे
चौकी-थाना तक सिमट के ना रह जायेंगे
महीनो तक धुंआ उड़ेगा गोलियां जहाँ भी चलाएंगे
फिर गुंडई करते कैसे हैं हम भी समझायेंगे