Monday, July 16, 2018

जिंदगी का सारा तेल निकलता जा रहा है



जिंदगी का सारा तेल निकलता जा रहा है 
 हम हैं की किसी और का तेल खाते जा रहे हैं 
ये गुरुर क्यों इतना बढ़ता जा रहा है ?
क्या यही हमें बर्बाद करता जा रहा है ?

मुस्कान उसके होठों पे वाकई में आ रही है 
या फरेबी है कोई, जो नकाबों में दिख रही है
खुद को अपने चेहरे पे क्यों नहीं रख रहे हो 
ज़माने की तरह किसी और की जिंदगी जी रहे हो 

तुम्हारे हक़ की खुशियाँ जल के राख़ होती जा रही है 
ये तुम्हारा वहम है की तुम लोगों की बस्तियां जलाये जा रहे हो 
लोगों के दर्दों पे क्यों इतना हंसे जा रहे हो ?
सुनामी से डर नहीं लगता जो इतने आंसू बचाये जा रहे हो 

समझदारी हर एक में है, वो तो रिश्ते हैं जो निभाए जा रहे हैं 
तुम्हारी भी हंसी दम तोड़ देगी, जो सबको रुलाये जा रहे हो 
ये तुम्हारा कारवां है जो मस्ती में चले जा रहे हो 
फिर किसी से ये ना कहना की अब तुम सताए जा रहे हो

Friday, July 6, 2018

अगर आंसुओं को हाथ मिला होता



अगर आंसुओं को हाथ मिला होता 
तो किसी के पोछने का उन्हें इंतज़ार ना होता 
और  दूसरों के मशवरों को छोड़कर खुद की सुना होता  
तो शायद वो आज बर्बाद ना हुआ होता 

उम्मीदें सूख कर कोयला ना होती 
अगर कोई झूठा वादा ना किया होता 
और उसके ज़ेहन में आग कैसे लगती 
अगर ये चिंगारियां तुम ना उड़ाए होते 

तुम्हारी बेचैनियों को कोई समझा भी ना होता 
अगर उसकी कहानियों में तुम्हारा जिक्र ना हुआ होता 
तुम्हारे शोहरत के खेत को भी बरसात मिली  होती 
अगर थोड़ी रिश्वत खुदा को दिया होता  




समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...