Saturday, April 21, 2018

माल है गांजा है या मारिजुआना है ये क्या है



माल है गांजा है या मारिजुआना है ये क्या है 
कल्पना का सार है या कल्पना का भण्डार है आखिर ये क्या है 
फेफड़ों तक जाता है ब्रहमाण्ड तक घुमाता है
अघोरियों का प्रिय है महाकाल का प्रसाद है आखिर ये क्या है 

चिलम का मित्र है या रिज़ला का सखा है 
बीज से निकलता है झाड़ी - पत्ती बनके उभरता है आखिर ये क्या है 
प्रकृत की गोंद में ये पलता है जमीन से जुड़ के ये रहता है 
बारिशों में भिगता है धूप में ये जलता है आखिर ये क्या है 

टहनी - टहनी ये टूटता है अपनी आखों के सामने ये सूखता है 
अलग भौकाल इसका रहता है , पत्तियों के साथ मैल इसका बिकता है आखिर ये क्या है 
पूरी दुनिया में ये घुमता है , एकाग्रता में लीन ये रहता है  
कई बिमारों का नास ये करता है,  औषधियों में नाम इसका रहता है  आखिर ये क्या है 


Monday, April 16, 2018

मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे



मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे
मेरे सर पे पैर रख के ये गुज़र जायेंगे 
अगर कोई खड़ा हो जाये इनके जुर्म की राह पे
तो उसके  ज़िन्दगी का सौदा ये कर जायेंगे

ये जो हिन्दू - मुस्लिम का कारवां खड़ा है
इनमे इंसानों का चेहरा कहाँ पड़ा है
और शहरों में मुझे खुलेआम जला देंगे
और धर्म - जाति की लड़ाई में, मेरी मौत को छुपा लेंगे

अगर बच निकला इनके चक्रव्यू  से मैं
तो मुझे पता है बलि चढ़ जाऊंगा खुदा के नाम पे मैं
कोई भक्त नहीं बचेगा ये खुदा तेरे शहर में
फिर कौन पूजेगा तुझे इन मंदिर और महजिदों के दरबार में

आप क्यों मुझे हैवान बनाने पे तुले हो
मेरे पैरों को काट के मुझे चलना सिखाते हो
अगर हिन्दू ही बनाना था मुझे
तो मुस्लिमों जैसा  खून मेरी रगों में क्यों दौड़ाते हो

खुदा कहूँ या भगवान कहूँ तुझे
ये पहले क्यों नहीं बताया मुझे
बड़ी बनावटी सी लगने लगी हैं ये दुनिया
इतना हो जाने के बाद भी तुझे नज़र नहीं आती ये कमीयां


Thursday, April 12, 2018

हद में रहो, ऐ सरकार चलाने वालों



हद में रहो, ऐ सरकार चलाने वालों
थोडा तो सरम  करो, ऐ दाल में कंकड़ मिलाने वालों
यहाँ घरों को जला दिया किसी भीड़ ने
और  रैली ही करते रह गए , ये भीड़ बनाने वाले 

सिर्फ वोटों की ही क़द्र क्यों है
वोट देने वालों पे भी तो ध्यान दो , ऐ संसद चलाने वालों
जब अपनी बातों पे एतबार नहीं है
तो क्यूँ वादा करते फिरते हो, ऐ वादा करने वालों

उनसे क्या कहें, जो थोड़े से पैसे और शराब में  बिक जाते हैं
कोई और कारोबार क्यों नहीं कर लेते, ऐ इंसान खरीदने वालों
ये  सब एक हि  हैं जो हमारी आखों के सामने लड़ते हुए दिखते हैं
थोड़ा तो परखना सीख लो , ऐ वोट देने वालों

ये तुम्हे जख्म देके, मरहम लगायेंगे
तुम्हारी लाचारियों को, मुद्दा बनायेंगे
तुम्हे ही सम्भलना  होगा, ऐ चोट खाने वालों

हर बेटी के बलात्कार पे, सब रोते ही रहते हैं
अरे कुछ करते क्यों नहीं, ऐ रोने वालों
और तुम्हारी भी बारी एक दिन आयगी
तुम्हारी आखों से भी आंसू निकलेगा, ऐ देखने वालों   

Monday, April 9, 2018

इश्क करना चाहता हूँ



इश्क करना चाहता हूँ 
है क्या, कोई खाली 
किसी से  गुफ्तगूँ करना चाहता हूँ 
है क्या,  कोई राजी 

जो बातें रह गयी है मेरी 
वो बता देना चाहता हूँ 
रास्तों में दीवार खड़ी मत करना मेरे 
ये पहले ही समझा देना चाहता हूँ 

और तुम  डरना मत किसी से
मेरे रुतबे को पहचान लेना 
वो लड़ने से पहले हार जाते हैं 
जो मेरे खिलाफ खड़े हो जाते हैं 

और वो क्या लुटेंगे तुम्हे 
जो खुद लुटने से बच नहीं पाए 
जिस दिन तुम्हारा साया, उनके उपर से उठ जायेगा 
कोई भी हो, वो इस जहां में टिक नहीं पायेगा 




Monday, April 2, 2018

अपने चहरे पे पर्दा नहीं रखती हूँ



अपने चहरे पे पर्दा नहीं रखती हूँ
जैसी हूँ, वैसी ही नज़र आती हूँ
आसमा की तरह नहीं हूँ 
की हर तरह गिरती हुई नज़र आउँ

हाँ कमजोर है मेरे प्यार की दीवार
जो हर कोई तोड़ के निकल जाता है
और तोड़ने वालों से कह देना कोई
ये हमारा दिल है हमेसा खुला रहता है

तुम्हे क्या लगता है, हम मर जायेगें
तुम जिसके भी करीब जाओगे, हमीं याद आयेंगे
और रहने दो मत बचाओ उन रिश्तों को
जिनमे "यकीन" ना हो ........
वो पत्ते हमेशा बिखर के खो जाते हैं 
जो डालियों से अलग हो जाते हैं 

दिल भर जाये जो तुम्हारा उस तरफ 
तो लौट आना मेरे आशियाने की  तरफ 
ये मेरे रिश्ते हैं 
यहाँ नफ्रतें जरा देर से आती हैं  


समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...