माल है गांजा है या मारिजुआना है ये क्या है
कल्पना का सार है या कल्पना का भण्डार है आखिर ये क्या है
फेफड़ों तक जाता है ब्रहमाण्ड तक घुमाता है
अघोरियों का प्रिय है महाकाल का प्रसाद है आखिर ये क्या है
चिलम का मित्र है या रिज़ला का सखा है
बीज से निकलता है झाड़ी - पत्ती बनके उभरता है आखिर ये क्या है
प्रकृत की गोंद में ये पलता है जमीन से जुड़ के ये रहता है
बारिशों में भिगता है धूप में ये जलता है आखिर ये क्या है
टहनी - टहनी ये टूटता है अपनी आखों के सामने ये सूखता है
अलग भौकाल इसका रहता है , पत्तियों के साथ मैल इसका बिकता है आखिर ये क्या है
पूरी दुनिया में ये घुमता है , एकाग्रता में लीन ये रहता है
कई बिमारों का नास ये करता है, औषधियों में नाम इसका रहता है आखिर ये क्या है