प्यार हमें भी हुआ था
तूफानों के गाँव में दिया लेके चला था
जमाने की मैं सुनता नहीं
हुआ यूँ की घंटों उसको सुना था
रात दिन कैसे गुज़रा ये जमाना जानता है
आशिकी सिर्फ मेरी नहीं ये तुम भी जानते हो
हर एग्जाम की बाखूबी तैयारी करता था
निबंध बाद में पहले प्रेमपत्र लिख लेता था
हर वो चीज मैंने छोड़ दी थी
जो उसे अच्छा नहीं लगता था
उसे अब भी मैं चाहता हूँ
ये भी उसे अच्छा नहीं लगता है
माँ मुझे नहीं बदलती है
ये इश्क में ही क्यूँ अदला - बदली चलती है
ये इंसानों की फितरत है
या इश्क के बाज़ार में यही चलता है
Very nice dear
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