Sunday, December 10, 2017

हम तो उनके भी नहीं हुए



हम तो उनके भी नहीं हुए 
जिनकी तमन्ना हुआ करती थी होने की 
मोहब्बत उनसे नहीं सम्हलती 
जिनकी आदत हो जादे सोने की

मैं अकेले ही जी रहा था 
मेरी आदत नहीं थी ,किसी कंधे पे सर रख के रोने की 
और उनकी ज़िन्दगी खरीद लेता है कोई 
जिनके पास हुनर नहीं है जुआ खेलने की

मेरे आंसुओ को मेरे ही हाथ ने पोछा था 
मेरे पास कोई तरकीब नहीं थी , रिस्तों को निभाने की 
मै तब भी खुल के नहीं हंसा करता था 
वो उम्र नहीं थी , जवाने की परवाह करने की

मुझे मौत कैसे आई थी
क्या ये इंसानों की साजिस थी , मुझे दफ़नाने की 
मेरी मौत की खुशी में तो तू भी था 
क्या ये कोई साजिश है  मेरे आंसुओं से बच जाने की 

3 comments:

thank u so much...

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समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...