Thursday, November 30, 2017

तुम डरना मत ......




तुम डरना मत ....

तुम्हारे अपने ही हंसेगे 
जब उनके भीड़ से निकलोंगे तो 
वो रोक नहीं पाएंगे 
वादा करो, तुम सिर्फ दिल की सुनोगे 

तुम डरना मत ....

आग लगा देंगे ज़माने में
अगर कोई समझाने आया तो
मिलना बंद करवा देंगे,
अगर हमें ना कुछ मिला तो

तुम डरना मत ....

तुम लड़ोगे , हम लड़ेंगे
हमारा कारवां लडेगा 
कुछ यूं सिलसिला चलेगा 
की सारा जहाँ याद करेगा 





Wednesday, November 29, 2017

वो चप्पल कुछ ऐसा था



वो चप्पल कुछ ऐसा था 
कांच के भीतर, वो कैद था 
बैठे मुझको देख रहा  था  
मुस्कान देख, मैंने उनको खरीद लिया था

अब हर रोज वो मुझे
अपने सर पे लेके चलते  हैं 
तपती धुप में मेरे तलवों को बचाते रहते हैं 
कंकड़ - पत्थर और काँटों को
अपने अंदर समेटे जाते हैं 
और आपस में चिट - पिट , चिट - पिट बातें करते रहतें है
शायद अपने जख्मों को बांटा करते हैं

मैं अंजान उनके दर्दों से
केवल चलता रहता हूँ.
पहले वो कितने मोटे थे
पतले हो गए हैं अब घिस घिस के
रोज दरवाजे के बाहर  रखता हूँ
सर्दियों में भी अंदर नहीं लाता हूँ
कभी पूछता भी नहीं की क्या हाल है तुम्हारा

एक सुबह उठ  के  देखा
बाएं पैर वाला ना दिखा
मैं दायें वाले से पूछा
उसने कोई जबाब नहीं दिया

मैंने गलियों में देखा
कई घरों के दरवाजों पे देखा
 ना जाने वो कहाँ गया 
कहीं पड़ा वो नहीं दिखा

मैं घर को अब वापस आया 
दायें वाले के आँखों में कुछ अजीब सा पाया
लेकिन बारिश की बूंदें उन्हें दिखने नहीं दिया
काफी देर तक मैं उसे देखता रहा

वो जान गया था की, अब मैं इसके काम का ना रहा
कूड़े में फेंक देगा या दरिया में बहा देगा
ये आदिवासी  तो नहीं होगा
कि किसी दुसरे के साथ मुझे जोड़ देगा
रिश्ता किसी से भी  हो किसी का, 
एक दिन वो  तोड़ जायेगा 





चारो तरफ चुभने लगे परेशानियाँ





चारो तरफ से चुभने लगे ,
परेशानियाँ काँटों की तरह |
तो रुख बदलना नहीं ,
दीवारों से टकरा कर हवाओं की तरह |
बढती है नाकामियां,
तो बढने दे इस कदर |
की इतिहास में तेरा भी नाम,
दर्ज हो जाये इब्राहीम लिंकन की तरह |




Monday, November 27, 2017

वो माँ ही थी |







वो माँ ही थी 
बस चेहरा अलग था 
जो दिया वो दिवाली की मिठाई थी 
बस  प्लेट नहीं था 
पैसे भी थे 
बस अंदाज़  अलग था 
उसके हाथों से जो भी मिलता, रख लेता था  
मेरी शिकायतें भी बहुत थी 
लेकिन वो बोले तो सुन लेता था 
वो माँ ही थी 
बस चेहरा अलग था




Sunday, November 26, 2017

प्यार हो, तो बताना




प्यार हो, तो बताना 
अपने ग़मों को भी साथ लाना 
सिर्फ बातें बनाने से क्या होता है ?
जिंदगी भर साथ रहें वही तो प्यार होता है |
कभी तुम डांट देना, मैं मुस्कुरा  दूंगा 
कभी मैं डांट दूंगा , तुम मुस्कुरा देना |
नफरतों की दीवार खड़ी  करने से क्या होगा ?
प्यार हो , तो बताना






समस्या बतायी जा रही है

समस्या बतायी जा रही है  सबको दिखाई जा रही है  ये भी परेशान है  ये बात समझायी जा रही है   देसी दारू पिलाई जा रही है  रेड लेबल छुपाई जा रही है...