जो नाराज़ हैं उन्हें नाराज़ ही रहने दो
उनकी नज़रों में मुझे गुनेहगार ही रहने दो
जब भी पास जाता हूँ मेरी हैसियत बताने लगते हैं
महलों में वो जीते कैसे हैं ये दिखाने लगते हैं
अभी ज़िन्दगी के कई पल बाक़ी हैं आने तो दो
जो लगी है अंदर आग उसे बाहर तक फ़ैलाने तो दो
पहचान लोगे हर एक पायदान को जिसपे पैर रख के चढ़े थे
फिर तुम कहोगे ये मेरा ग़ुरूर था इसे बिक जाने तो दो
लहरों की तरह वापस आओगे ज़रा वक़्त आने तो दो
मेरे कई दर्द हैं ज़रा आपस में सबको टकराने तो दो
जहाँ से गए थे वहीं आके खड़े हो जाओगे
ये जीवन काल चक्र है ज़रा इसे घूम जाने तो दो
वाह क्या बात है, जो नाराज़ हैं वो नाराज़ रहें...
ReplyDeleteवाह क्या बात है, जो नाराज़ हैं वो नाराज़ रहें...
ReplyDeleteवाह क्या बात है, जो नाराज़ हैं वो नाराज़ रहें...
ReplyDeleteWah wah
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