जो बुरे कदमों पे टोका
करते थे
रिश्तों की बाग़ को सींचा
करते थे
रोने की वजय जो पूछा करते
थे
वो चले गए ....
जो नए नाम से पुकारा करते
थे
जिनको माँ राखी बांधा
करती थी
और मीठा हम खाया करते थे
वो चले गए ......
जो बड़े होने पे अदब से
बातें करते थे
क्या करता हूँ ये पूछा
करते थे
पैर छूने से पहले जो
आशीर्वाद दिया करते थे
वो चले गए ......
मेरे हारने पे जीत की
उम्मीद जगाया करते थे
मायूस ना होना ये दोहराया
करते थे
मेरी हर जीत पे जो
मुस्कुराया करते थे
वो चले गए........
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