ये इश्क बड़ा बूद्धू है
हर बार दोस्त की गर्लफ्रेंड से ही हो जाता है
रोकता हूँ इसे जिस राह पे, ना जाने को
ये सर फिरा उधर ही चला जाता है
पल भर की खुशियों पे यकीन मत करना ये समझाता हूँ
मगर ये दिल है दिमाक की सुनता कहाँ है
हर बार मोहब्बत की सवारी करने चला जाता है
ढूढ़ता हूँ तो वीरानों में भटकता मिलता है
जंजीरें नहीं लगाऊंगा, तराने छेड़ो
मगर किसी के आंसुओं को बेघर ना करो
रिश्तों को सम्हालने का थोड़ा हुनर सिख लो
दिल तोड़ जाते हैं लोग ये कहना छोड़ दो