समंदर |
लहरों में होता कौन है ?
जो उन्हें दौड़ाता है
क्या उन्हें चोट नहीं लगती है
किनारों पे बार - बार क्यों लड़ाता है
जहाँ वो दरिया सा ठहर जाते हैं
मेरे जैसे को अपने अंदर क्यों दिखाते हैं
और खुद्खुशी जल्दि कोई नहीं कर पाता हैं
वो समंदर बार - बार किनारों पे क्यों फेंक जाता है
मछलियों जैसे कई उनकी रगों में दौड़ते हैं
हम इंसान हैं इंसानों को इजाजत क्यों नहीं देता है
उनकी मोतीयां कोई और चुराता है
और हमे शक की नज़रों से, वो क्यों देखता है
हम उनपे इल्जाम लगा देते हैं
उनके हालात से ना समझ रह जाते हैं
वो लहरें बूड़ी हो गयी होती हैं
जिनके सर से जहाज फिसल के डूब जाता है
लहरों में होता कौन है ?
जो उन्हें दौड़ाता है
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