कुछ गल्तियाँ हमने भी की हैं
पूरा वफादार नहीं हैं हम
औकात तो मेरी भी थी
नज़रें छुपा के निकलें भी हैं हम
तारीफें तो बहुत मिली हैं
कई बार अपनी नज़रों में गिरे भी हैं हम
जब - जब किसी को लूटने की कोशिश किया है
कई बार सरेआम लूटें भी हैं हम
हर कोई समझाने में लगा है की वो झूठा नहीं है
झूठ वफ़ादारों के गले में लटकते देखे भी हैं हम
जो कहते हैं बेंच दुंगा सारे आम सबको
उन्हें ही हर जगह बिकते देखे भी हैं हम